Thursday, April 19, 2007
दर्द
एक टीस सी दिल मैं उठती है , एक दर्द सा दिल मैं होता है
यादों का जैसे ताज़ पहन, कोई ताजमहल मैं रोता है |
वो रात जो थी, ये दिन भी कभी, ना हो पाएँगे अब ज़ीवन भर,
इश्क़ का मारा तो हमेशा अपनी यादों को ही तो ढोता है |
छोड़ चला वो इस दुनिया को, परलॉक है अब तिमिर मिटा,
बचे हुए रोशनी के टुकड़े, दिल इन सासों मैं पिरोता है |
सूखे पत्ते, गर्म रेत, टूटी टेहनी की बात ही क्या,
बस अपना दर्द ही अनपे दिल को छूता है |
लाख मना ले की हम दिल मे, की सब अच्छा ही हो,
होता वो ही है जो की होना होता है |
Tuesday, April 17, 2007
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